इतिहास

अखिल भारत हिंदू महासभा भारत के सबसे पुराने संगठनों में से एक है. इसकी स्थापना 1907 में हुई थी। प्रतिष्ठित हिंदू नेताओं ने १९१५ में अखिल भारतीय आधार पर इस संगठन का विस्तार किया। हिंदू महासभा एक हिंदू संगठन है और हिंदुओ के हक्को के लिए लड़ने वाला राजनीतिक दल है।  हिंदू महासभा एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन है, जिसकी स्थापना हिंदुओं के मुद्दों की सुरक्षा के लिए की गई है।

इस संगठन की स्थापना करने वाले और आयोजित अखिल भारतीय सत्र की अध्यक्षता करने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तित्व हैं: पंडित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, विनायक दामोदर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी. इस पार्टी का प्रतिनिधित्व संसद में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे प्रसिद्ध सांसदों ने भी किया था. स्वतंत्रता संग्राम में इस दल के कुछ व्यक्तित्वों पर अंग्रेजों ने मुकदमा चलाया, फाँसी की सजा सुनाई और अंडमान भेज दिया, इनमें वीर विनायक दामोदर सावरकर, बाबाराव दामोदर सावरकर, भाई परमानंद, आशुतोष लाहिड़ी और बाबा मदन सिंह गोगा भी शामिल थे.

किसी भी राजनीतिक दल का ग्राफ समय के अनुसार बदलता रहता है।  अतीत में कभी-कभी डॉ.राजेंद्र प्रसाद, बाबू जगजीवन राम, जयरामदास दौलतराम, एस.के.पाटिल, एम.आर.जयकर, डॉ. छोटीराम गिडवानी, मेहरचंद खन्ना और कई अन्य कांग्रेस नेता सक्रिय रूप से हिंदू महासभा से जुड़े थे, और पदाधिकारी थे।  1926 में श्री विट्ठलभाई पटेल और मोतीलाल नेहरू कलकत्ता (कोलकाता) के अधिवेशन में शामिल हुए थे।  1925 में प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव में हिंदू महासभा द्वारा समर्थित राष्ट्रवादी सिंध, बंगाल, पंजाब, सी.पी. (मध्य प्रांत) और यू.पी. (उत्तर प्रदेश) में चुने गए, जिनमें लाला लाजपत राय जैसे व्यक्तित्व भी शामिल थे. 

जे.पी.श्रीवास्तव और डॉ. एन.बी.खरे वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य हिंदू महासभा के प्रतिनिधि के रूप में  डॉ. बी.एस.मुंजे ने गोलमेज सम्मेलन में हिंदू महासभा का प्रतिनिधित्व किया था. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी हिंदू महासभा की ओर से नेहरू मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री के रूप में कार्यरत थे. ऐसा है हिंदू महासभा का राजनीतिक और चुनावी ग्राफ। 1944 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के बिलासपुर अधिवेशन में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में भारत का एक मॉडल संविधान वर्तमान संविधान के समान अपनाया गया था.